एक संभ्रांत महिला अपनी परिचारिका के साथ : 'यह कौन है ? यह तो एक औरत का नग्न शारीर रास्ते पर पड़ा है ! oh God ! has she been raped ! is she dead ! What is happening to our society ! Oh God !
परिचारिका : मैडम, आपके कैरी बैग में जो साड़ी है उससे इसे ढक देते हैं।
महिला : रेखा , are you kidding ! मैं अपनी डिज़ाइनर वेअर साड़ी यहाँ डाल दूँ ! यह तो मैं फंक्शन के लिए ले जा रही हूँ। मैं तो अपना मोबाइल भी घर पर भूल आयी। चलो , फंक्शन हॉल में पहुंचकर पुलिस को फ़ोन कर देंगे।
कुछ मनचले नौजवान : यार देख , किसी ने मज़ा लेने के बाद इसे यहाँ फेंक दिया है। चल , मोबाइल में फोटो और वीडियो ले लेते हैं।
WhatsApp और सभी SNS पर अपलोड कर देंगे। मिनटों में वायरल हो जायेगा। लेटस do it dude , मज़ा आएगा।
एक वृद्ध दम्पति : हे भगवान् , कैसे दिन दहाड़े हत्या कर लाश को किस हैवानियत से यहाँ फेंक गए हैं। घोर कलयुग है घोर कलयुग। चुप चाप यहां से निकल पड़ो नहीं तो फ़िज़ूल में पुलिस के पचड़े में पड़ जायेंगे।
एक राजनितिक दल का सदस्य : अरे यह क्या , यह तो महत्वपूर्ण राजनितिक षड्यंत्र है। इस मुद्दे को तो राजनितिक महकमे में उठाना पड़ेगा !
एक समाजसेवी संस्थान का कर्मी : प्रशासन ने अभी तक इस देह का अंतिम संस्कार नहीं किया ? हमें ही कुछ करना पड़ेगा। लोगों से चंदा लेकर इसका क्रियाक्रम करना पड़ेगा!
क्रमशः वहाँ लोगों की भीड़ जमा हो जाती है। सब उस रास्ते पर पड़े देह पर फब्तियां कस्ते हैं। कुछ फ़िज़ूल में मुसीबत ना मोल लेने के इरादे से चले जाते हैं। सभी एक दूसरे से पुलिस और करीब के अस्पताल में इत्तेला करने को कहते हैं। वहां पर मौजूद एक युवक कहता है कि उसे पुलिस और अस्पताल का फ़ोन नंबर मालूम नहीं है पर उसने वीडियो और फोटो प्रेस वालों को मोबाइल से मैसेज कर दिया है। सभी उस देह को नफरत और संदेह की दृष्टि से देख रहे हैं। तभी पुलिस की एक गाड़ी गश्त लगाते हुए वहां पहुँचती है।
कुछ पूंजीपति और उद्योगपति वहाँ से गुज़रते हुए जमा हुई लोगों की भीड़ को देखकर : इलेक्शन के वक़्त यह राजनितिक दल कितने वादे करते हैं। चंदा लेते हैं। बुनियादी सुविधाओं को देने का दम भरते हैं , पर जब प्रशासन की बागडोर मिल जाती है तो सब भूल जाते हैं। नियमित कर वसूलते हैं ; पर वही प्रशासनिक अव्यवस्था वही अराजकता हर रास्ते, गली और कूचे में दिखती है।
इंस्पेक्टर अपने लोगों को निर्देश देने लग जाता है। पुलिस को देख भीड़ वहां से तितर बितर हो जाती है। तभी एक पत्रकार वहाँ आकर पहुँचता है। उसकी नज़र उस निर्जीव देह पर पड़े कागज़ के एक पर्चे पर पड़ती है। वह इंस्पेक्टर का ध्यान उस ओर आकृष्ट करता है। इंस्पेक्टर कागज़ के टुकड़े को उठाकर पढता है :
मेरा वसीयतनामा :
मेरे फेंफड़े , ह्रदय , आँखें , कलेजा , गुर्दे ज़रुरत मंदो को समर्पित।
मेरा देहावशेष मानवता के वैज्ञानिक जिज्ञासा और अनुसन्धान को सम्पर्पित ....
(यह लेख धरा को समर्पित )
No comments:
Post a Comment