पुष्प का भोलापन
नन्ही काली थी मै
लम्हा लम्हा
मेरी यह पंखुड़ियां
सूर्य की किरणों में
नारंगी से हुई
प्रातःकाल के आकाश सी
लालिमा भरी।
हवा के मंद झोकों में
हिलोरे भर्ती माँ की टहनियों के पालने से
देखा एक व्यक्ति को अपने पुत्र के साथ
मेरी माँ के सामने खड़े हुए. .
मेरी ओर संकेत कर उसने अपने बेटे से कहा
इस पुष्प को "हुकर'स लिप्स" कहते हैं बेटा ।
निहारते हुए बालक ने पूछा -
हुकर क्या होता है बाबा?
व्यक्ति ने मुस्कुराते हुए कहा:
जो व्यक्ति पैसे के एवज में
औरों की शारीरिक वासन की पूर्ती करे।
बालक ने मुझे देख मुस्कुराकर कहा :
परन्तु बाबा, मॉ भी अपने होठों को
इसी तरह रंगकर है मुस्कुराती !
बेटे के उत्तर से खीजकर व्यक्ति ने
बालक का हाथ पकड़ा
और द्रुत गति से खेत की ओर बढ़ चला।
मैंने उन दो आकृतियों को
शनै शनै सूक्ष्म बिंदु हो
क्षितिज में लीन होते देखा।
मेरे हृदय की टीस को भांपकर
माँ की कोमल उँगलियों (पत्तों ) ने मेरा स्पर्श किया
और प्यार से कहा -
तुम मेरी द्युतिमान संतान हो।
तुम्हारे मुस्कुराते आधर रुपी आकार
चिंतित माथे पर शान्तिदायिनी चुम्बन के है समान।
जो भी तुम्हे है निहारता
उसपर झलकती है तुम्हारी दीप्तिमान मुस्कान।
तुम हो संतान प्रकृति की ,
तुम हो अधर माँ प्रकृति की।
हुकर'स लिप्स पुष्प के विषय में और जानकारी के लिए :
http://www.odditycentral.com/travel/hookers-lips-the-worlds-most-kissable-plant.html
यह कविता उन सबको समर्पित है जो दुनिया की सबसे पुरानी और विषम पेशे: वेश्यावृत्ति में धकेल दिए गए हैं। उनकी सामाजिक अवहेलना होती है। उनको भी एक सम्मानित नागरिक की तरह जीने अधिकार है और मिलना चाहिए। हर नागरिक की तरह उन्हें भी सम्मानित जीवन जीने के लिए शिक्षा अपनी प्रतिभा को पहचानकर, अपने हुनर के विकास का अवसर सुलभ होना चाहिए ताकि उन्हें वह अपने आमदनी का जरिया बनाकर आत्म सम्मान साथ जी सकेँ।