Sunday, December 18, 2016

देश



Inspired by the news: 3 soldiers killed in terrorist attack on Army convoy in J&K
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"जनाब, ज़रा  पीने का पानी मिलेगा, ज़ोरों की प्यास लगी है... "
सिपाही दर्शन,  देश की पश्चिमी सीमा की  एक चौकी पर अपने, साथी सिपाही लेख के साथ तैनात था।  वह गर्मी के दिनों की भरी दोपहरी में चौकी पर चौकसी कर रहा था.  उसने  तार के बाड़े के उस पार से एक बच्चे की धीमी सी पुकार सुनी। उस आवाज़ ने फिर से पुकारा : "जनाब, ज़रा  पीने का पानी मिलेगा, ज़ोरों की प्यास लगी है... " तार के उस पार दूर दूर तक फैला मैदान था, जिसमें उगी हुई लंबी घास के कारण दर्शन को पुकारने वाला दिखाई नहीं दिया। वह चौकन्ना हो गया।  उसे लगा कहीं यह दुश्मन की कोई चाल तो नहीं है ? उसने लेख से सजग रहने को कहकर खुद पुकारने वाले को देखने के लिए , हाथ में अपनी बन्दूक थामकर तार के बाड़े की ओर बढ़ा। तभी आठ नौ साल का एक दुबला सा लड़का घास की ओट से उठकर खड़ा हो गया। दर्शन के हाथ में बन्दूक देखकर वह घबरा गया और अपने दोनों हाथ अपने सिर पर रखकर उसने गिड़गिड़ाकर कहा : "जनाब , मैं अमन हूँ। आप मुझपर गोली मत चलाना !" कहकर वह रोने लगा। दर्शन को उस बच्चे पर विश्वास नहीं हुआ ; क्योंकि ऐसे कई वारदात हुए थे जिसमें दुश्मनों ने घुसपैठ करने के लिए   गाँव वालों का सहारा लिया था। उसने लड़के पर बन्दूक तानकर कहा, "मैं तुझपर कैसे भरोसा करूँ कि तू अकेला है और तेरे साथ तेरे  देश का कोई सिपाही नहीं है ?" दर्शन की कड़कती आवाज़ से घबराकर अमन घुटनों के बल ज़मीन पर बैठ गया और उसने सिसकते हुए कहा, "जनाब, यह तुम्हारा देश क्या होता है ? मैं दूर गाँव से आया हूँ अपनी गाय और बकरी के लिए घास काटकर ले जाने। रुब्बा चाचा ने कहा था कि तार के बाड़े से दूर रहना, पर अच्छी घास ढूंढते मैं यहाँ कैसे पहुंचा, मुझे खुद नहीं मालूम! इस चिलचिलाती धुप में मुझे जोरों की प्यास लगी। कहीं पर भी पानी नहीं मिला, तभी आप मुझे नज़र आए..." कहकर अमन रोने लगा। दर्शन ने सिसकते हुए बच्चे को घूरते हुए कहा, "मुझे तुझपर भरोसा नहीं है। तू चिल्लाकर अपने बाप की कसम खा, कि तू सच बोल रहा है। " अमन ने रोते हुए कहा , "मेरे अब्बू और अम्मी , दोनों ही नहीं रहे। ..", "तो अपने चाचू की कसम खा, चिल्लाकर !" दर्शन ने गुस्से में  कहा।  अमन ने दर्शन का कहना माना और सिसकते हुए गिड़गिड़ाया , "जनाब , अब तो पानी पिला दो , बहुत प्यास लगी है। "
दर्शन ने लेख को पुकारा और उसे पानी लेकर आने को कहा।  जब लेख पानी लेकर आया तो दर्शन ने पानी की बोतल अमन को थमा दी। दोनों सिपाही हैरान होकर उस बच्चे को देखते रहे, जिसने पूरी बोतल का पानी एक घूँट में पी लिया। अमन ने खाली बोतल दर्शन को लौटाते हुए कहा , "जनाब , आपका  बहुत शुक्रिया, मुझे पानी ना मिलता तो मैं शायद घर नहीं लौट पाता। आपने तो मेरी जान बचा ली !" उसकी आँखों में ख़ुशी के आँसू छलक पड़े। उसे रोते देख दर्शन ने उससे उसके घर के बारे में पूछा तो अमन ने बताया कि , जब  वह दो साल का था तो उसके अम्मी और अब्बू गुज़र गए। उसके चाचा उसकी देखभाल करने लगे। उसके चाचा चरवाहे हैं और कुछ हफ़्तों से अमन अपने चाचा के साथ पास के गाँव में आकर रुका है अपने मवेशियों को चराने के लिए। अमन और उसका परिवार इस इलाके में नए थे और अमन को इस जगह की जानकारी नहीं थी। लेख ने अपनी जेब से एक मूंगफलियों का पैकेट निकाला और अमन को देते होये कहा , "ले खा ले , भूख तो लगी होगी। अब सावधानी से घर लौट जाना। "
अगले दिन दर्शन और लेख ने अमन को उनकी ओर आते हुए देखा। वह अपने हाथ में एक कपड़े की पोटली को लहराते हुए उनकी तरफ आ रहा था। दर्शन ने कांटे के बाड़े पास जाकर अमन को वापस जाने का इशारा किया ;पर अमन दौड़कर बाड़े के पास आ गया। अमन ने कपड़े की पोंटली दर्शन की ओर बढ़ाते हुए कहा , "जनाब, इसमें चटनी और रोटी है। चची ने दी है दोपहर के खाने के लिए। मैं यह आपके लिए लाया हूँ।" दर्शन ने लेने से मना किया और उसने से कहा , "अमन, यह और हमारे देश की सरहद है। अगर तुम्हे किसीने यहाँ देख लिया तो तुम्हारी जान खतरे में पड़ सकती है। तुम्हें यहाँ नहीं आना चाहिए। "
अमन ने मायूस होकर , कहा "जनाब, कँटीले बाड़े के दोनों तरफ तो एक जैसी ज़मीन पेड़ पौधे और लोग हैं , तो यह दो अलग देश कैसे हैँ ? आपने तो  मेरी जान बचाई तो, जनाब , मैं आज शुक्रियादा करने आया हूँ।" कहते हुए उसने  खाने की पोंटली को दर्शन की तरफ बढ़ाई  । तभी दूर से बन्दूक चलने की आवाज़ आयी और एक गोली हवा को चीरती हुई  अमन को आ लगी। अमन ने एक हिचकी ली और वहीँ पर ढेर हो गया। दर्शन कुछ कर पाता उससे पहले काँटे के बाड़े के उस पर से गोलियों के चलने की आवाज़ आयी और दर्शन कूदकर लेख के पास चौकी की दीवार के पीछे पहुंच गया । उसने देखा लेख वायरलेस पर उनके अफसर को सारी  जानकारी दे रहा था। लेख ने अफसर से अपनी बात पूरी कर दर्शन से कहा , "दुश्मनों की चौकी से हमपर वार हुआ है। उन्होंने अमन को देखा था। आज इसलिए उन्होंने हमपर हमला किया है। कुछ ही देर में छावनी से एक टुकड़ी यहाँ आ रही, हमारी मदद करने। "
टुकड़ी आयी सरहद के दोनों तरफ से काफी गोली बारी हुई और दोनों ने ही अपने कुछ बहादुर सिपाही खोये। दो तीन दिन में जब गोली बारी खत्म हुई तो दर्शन और लेख को अपने कुछ साथियों के साथ छावनी लौटने का हुक्म आया।
जब दर्शन और लेख छावनी पहुंचे तो उन्हें पता चला कि उनके कुछ साथी जब यहाँ से दूसरी छावनी जा रहे थे तब आतंकियों ने उनपर हमला किया। आतंकियों के अनुसार अमन एक घुसपैठिया था, जिसको उन्होंने मार गिराया।  घुसपैठ करने की कोशिश हमारे साथियों ने अमन के सहारे की , इसी का बदला लेने के लिए आतंकियों  ने दर्शन और लेख के साथियों पर हमला किया था। यह सुनकर दर्शन को  अमन का आंसुओं से भीग चेहरा नज़र आया , " जनाब , मैं आज शुक्रियादा करने आया हूँ... "


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