Saturday, June 10, 2017

सेतु




हमारा यह है मानना,
वृद्धावस्था  भूत है अपना।
हमारा यह है मानना ,
यौवन वर्तमान है अपना।
हमारा यह है मानना ,
शैशव (बालपन ) भविष्य है अपना।
अर्थात :
हम यह मानते हैं ,
वृद्ध हमारे भूत हैं।
हम यह मानते हैं ,
युवा हमारे वर्तमान व भविष्य हैं।
 हम यह मानते हैं ,
बालक  हमारे भविष्य हैं।
बल्कि :
यथार्त यह है ,
वृद्ध हमारे भविष्य हैं।
युवा हमारे हैं वर्तमान।
शिशु हैं हमारे भूत के सामान।
कारण समझना है बहुत आसान :
इसपर  ज़रा आप रखिये ध्यान।
वृद्ध हैं शिशु व युवा का भविष्य ,
वह कर उपयोग वृद्ध के अनुभव और ज्ञान ,
शिशु और युवा कर सकते हैं
अपना वृद्धावस्था,  सुखमय,
आनंदमय और आसान।
युवा हैं शिशु और वृद्ध का वर्तमान,
कर उपयोग युवा का उमंग और जोश,
 शिशु और वृद्ध कर सकते हैं अपना वर्तमान,
 सुखमय, आनंदमय और आसान।
शिशु हैं युवा और वृद्ध के भूत ,
कर शिशु के निश्छल मन,जिज्ञासु मस्तिष्क  का मान,
स्वाभिमानी युवा और वृद्ध करें अपना भूत ,
 सुखमय, आनंदमय और आसान।
यह है पीढ़ी की अंतर का सुखद समाधान।
कर स्थापित सेतु तीनों पीढ़ियों में
करें अर्जितप्रेम, सौहार्द्य,
स्वाभिमान और सम्मान।

सत्य


पिक्चर :Earth  in the Milky Way

As seen on #Cosmos: The Pale Blue Dot
"Look again at that dot. That's here. That's home. That's us. On it everyone you love, everyone you know, everyone you ever heard of, every human being who ever was, lived out their lives. The aggregate of our joy and suffering, thousands of confident religions, ideologies, and economic doctrines, every hunter and forager, every hero and coward, every creator and destroyer of civilization, every king and peasant, every young couple in love, every mother and father, hopeful child, inventor and explorer, every teacher of morals, every corrupt politician, every 'superstar,' every 'supreme leader,' every saint and sinner in the history of our species lived there -- on a mote of dust suspended in a sunbeam."
-Carl Sagan, "Pale Blue Dot," 1994
This image of Earth, captured by NASA's Voyager 1 at a distance of more than 4 billion miles, inspired Carl's famous quote.

पुरातन सत्य , नवीन सत्य।
अर्ध सत्य , पूर्ण सत्य।
स्वार्थी सत्य , निस्वार्थ सत्य।
मीठा सत्य , कड़वा सत्य।
नग्न सत्य , आवरित सत्य।
विश्वसनीय सत्य , अविश्वसनीय सत्य।
प्रमाणित सत्य , अप्रमाणित सत्य।
मिथ्य सत्य, सत्य सत्य।
दुखता सत्य , मुस्कुराता सत्य।
सामयिक सत्य , चिरन्तन सत्य।
अमूल्य सत्य , मूल्यहीन सत्य।
धनवान सत्य , निर्धन सत्य।
प्रताडक सत्य , प्रताड़ित सत्य।
वैज्ञानिक सत्य , काल्पनिक सत्य।
संवेदनशील सत्य , संवेदनहीन सत्य।
मानवीय सत्य , क्रूर सत्य।
लोभी सत्य , निष्काम सत्य।
 जीवंत सत्य , संज्ञाहीन सत्य।
स्वीकरणीय सत्य , अस्वीकरणीय सत्य।
 मुद्रित सत्य , अमुद्रित सत्य।
पीड़क सत्य , पीड़ित सत्य।
बिकने वाला सत्य , नहीं बिकने वाला सत्य।
रोधपूर्ण सत्य , विद्रोही सत्य।
सत्ताधीन सत्य , सत्ताहीन सत्य।
स्वार्थी सत्य , निस्वार्थ सत्य।
मौलिक सत्य , निर्मूल सत्य।
नैतिक सत्य, अनैतिक सत्य।
प्रशासनिक सत्य , राजनैतिक सत्य।
संवैधानिक सत्य असंवैधानिक सत्य।
सामाजिक सत्य , असामाजिक सत्य।
न्यायपूर्ण सत्य , अन्यायपूर्ण सत्य।
धार्मिक सत्य , विधर्मी सत्य।
शक्तिमान सत्य , शक्तिहीन सत्य।
अशांत सत्य , शांति पूर्ण सत्य।
सात्विक सत्य , तामसिक सत्य।
दिव्य सत्य , मानवी सत्य।
ईश्वरीय सत्य , आसुरी सत्य।
प्राकृतिक सत्य , कृत्रिम सत्य।
दाम्भिक सत्य , विनयपूर्ण सत्य।
जीवंत सत्य , निर्जीव सत्य।
नश्वर सत्य , अनश्वर सत्य।
आत्मिक सत्य , आध्यात्मिक\सत्य।
सत्य की खोज करता है मनुष्य,
पंच भूत के दायरे में रहकर।
समय के आयाम को निर्धारित कर।
सत्य की खोज करता है मनुष्य ,
भय की बेड़ियों से निजात पाने को हो तत्पर।
 सत्य की खोज करता है मनुष्य ,
अपनी मनोवृत्ति की बुनियाद पर।
  सत्य की खोज करता है मनुष्य ,
अपने मानसिक और भावनात्मक बोध पर
अपनी जिज्ञासा को निर्धारित कर।
 सत्य की खोज करता है मनुष्य ,
अज्ञानता के अन्धकार को दूर कर ,
ज्ञान के उजाले में होने अग्रसर।
मूल सत्य, असत्य (मिथ्य ) और उनकी उपमाएँ हैं -
मनुष्य के अस्तित्व के निर्धारण भर।



Image credit: NASA/JPL-Caltech
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